इमोशनल स्टोरी: "एक टूटता सपना" - Emotional story in hindi copyright free
यह कहानी एक छोटे से गाँव के लड़के, मोहन की है। मोहन का जीवन बहुत ही साधारण था, लेकिन उसके दिल में एक बड़ा सपना था – वो डॉक्टर बनना चाहता था। उसका सपना सिर्फ उसकी मेहनत पर आधारित था, क्योंकि उसकी गरीबी उसे कभी भी किसी बड़े संस्थान में दाखिला दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। लेकिन मोहन ने कभी हार नहीं मानी।
उसका सपना केवल उसका नहीं था, बल्कि उसकी माँ का भी था। उसकी माँ, जो एक मेहनती महिला थी, ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए अपनी सारी इच्छाओं को तिलांजलि दे दी थी। उसने मोहन को हमेशा यह सिखाया था कि मेहनत करने से ही जीवन में सफलता मिलती है। मोहन की माँ का एक ही सपना था—उसका बेटा बड़ा आदमी बने और उनके गाँव का नाम रोशन करे।
मोहन ने अपनी पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किया। वह दिन-रात मेहनत करता, और हर दिन उसे यह विश्वास था कि एक दिन उसका सपना सच होगा। उसने अपनी शिक्षा के लिए सस्ते किताबों से शुरुआत की और स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। फिर उसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू की।
लेकिन उसकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। उसका परिवार बहुत गरीब था और वह किसी बड़े कोचिंग संस्थान में पढ़ाई नहीं कर सकता था। फिर भी, मोहन ने हार नहीं मानी। उसने एक पुराने कोचिंग सेंटर में प्रवेश लिया, जहां पढ़ाई के संसाधन बहुत सीमित थे। लेकिन मोहन ने वही पुरानी किताबें और इंटरनेट से ज्ञान हासिल किया, और अपने प्रयासों से वह मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने में सफल हुआ।
मोहन के इस सफलता के बाद उसकी माँ बहुत खुश थी, क्योंकि यह उसकी उम्मीदों का फल था। लेकिन उसे नहीं पता था कि यह खुशी बहुत दिन नहीं टिकने वाली थी। मोहन ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, और अब वह गाँव से दूर शहर में पढ़ाई करने के लिए जाने वाला था। उसकी माँ का दिल भर आया, क्योंकि वह जानती थी कि अब उनका बेटा उनके पास नहीं रहेगा।
वह दिन आया जब मोहन को शहर जाना था। मोहन अपनी माँ को गले लगा कर विदा लेता है, और उसकी आँखों में आंसू थे। उसकी माँ ने कहा, "बेटा, तुम जहाँ भी जाओ, मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं। पर तुम हमेशा अपने दिल से वो सपने जीना, जो तुम्हारे पास हैं।"
मोहन शहर चला गया और अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से लग गया। उसने अपनी सारी कठिनाइयों को पार किया और मेडिकल में अपनी पूरी मेहनत से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन तभी एक दिन, उसे एक फोन कॉल आया, जो उसकी ज़िंदगी का सबसे दर्दनाक पल था। उसकी माँ को एक गंभीर बीमारी हो गई थी।
मोहन ने तुरंत घर लौटने का फैसला किया, लेकिन उसका सपना, उसका कॉलेज, सबकुछ बीच में आ गया। मोहन ने अपनी माँ को खो दिया। उसकी माँ का इंतकाल हो चुका था, और वह जिस सपने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा था, वह सपना अब अधूरा रह गया था।
उसकी माँ ने हमेशा उसे यह सिखाया था कि जीवन में कड़ी मेहनत और अच्छे उद्देश्य से ही सफलता मिलती है, लेकिन अब मोहन के लिए यह सवाल था कि क्या सफलता का कोई मतलब है, जब वह अपनी माँ को खो चुका है। मोहन ने अब तय किया कि वह अपने माँ के सपने को पूरा करेगा, क्योंकि उसकी माँ के बिना उसका जीवन अधूरा था।
वह वापस मेडिकल में अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से लग गया, और कई वर्षों बाद जब मोहन एक सफल डॉक्टर बन गया, तो उसने अपनी माँ के सपने को जीवित रखा। उसकी माँ की यादें उसे हमेशा प्रेरित करती रही। मोहन जानता था कि वह अपनी माँ का आशीर्वाद और उसका प्यार हमेशा अपने दिल में महसूस करेगा।
यह कहानी यह सिखाती है कि जीवन में बहुत सी कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें अपनी मेहनत और उद्देश्य से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। और कभी-कभी, हमारे सपनों की सच्ची कीमत तब समझ में आती है, जब हमें अपने प्रियजनों से जुदा होना पड़ता है। लेकिन हमें उनके आशीर्वाद और यादों के साथ अपने रास्ते पर चलते रहना चाहिए, क्योंकि वही सच्ची सफलता है।